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भेष बदलकर थाने गए प्रधानमंत्री थानेदार ने मांग ली रिश्वत फिर

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इटावा, उत्तर प्रदेश
यह बात साल 1967 की है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हरिद्वार दौरे पर गए थे दो दिन उनको रहना था इसलिए गंगा के किनारे बने सर्किट हाउस में रुक जाते हैं अब इसी बीच में रेजीडेंट मजिस्ट्रेट जो होते हैं उनके खाने की व्यवस्था करते हैं खाना जैसे ही पहुंचता है मुख्यमंत्री के पास तो मुख्यमंत्री खाना देखने के बाद मना कर देते हैं कहते हैं कि मेरा व्रत है इसलिए मैं खाना नहीं खा पाउंगा खाना तो वापस चला जाता है लेकिन कुछ देर के बाद दूध, फल और कुछ ऐसी व्यवस्थाएं कर दी जाती हैं जो मुख्यमंत्री खा सकें

पूछा जाता है कि यह क्या है जवाब आता है की साहब ये व्रत का पूरा समान है अब आप इसे खा सकते हैं मुख्यमंत्री ने उस वृत्त के समान को खाया बाकी उनके टीम के जो लोग थे उन्होंने भी उस वृत्त के समान को खाया और खाने के बाद वह अपने दौरे पर निकल जाते हैं इसी तरह से 2 दिन का उनका टूर होता है और 2 दिन के बाद जब वो यहां से जा रहे थे तो हरिद्वार की एक ट्रेन में बैठ जाते हैं और ट्रेन में बैठने के बाद तभी किसी को आदेश करते हैं की वो जो रेजीडेंट मजिस्ट्रेट हैं जिनका नाम चंद्रशेखर द्विवेदी है उनको बुलाइए जरा

जैसे ही यह बात कही जाती है उसके बाद फिर चंद्रशेखर द्विवेदी वहां पर पहुंच जाते हैं और मुख्यमंत्री अपनी जेब में से यानि की कुर्ते की जेब में से एक चेक निकालते हैं निकालने के बाद देते हैं उनके हाथ में और उस चेक पर लिखा हुआ था ₹6.25 पैसे यानी कि जो उन्हें व्रत में सामान दिया गया था उनका खानपीन का जो बिल था वह ₹6.25 पैसे का था… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें

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