एक बार क्राइम ब्रांच ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था उसके बाद एक पुलिस ऑफिसर ने उनमें से पकड़े गए आदमी से पूछा कि तुम किस तरह से लोगों को फोन करते हो उनसे बात करते हो तो वह कहता है साहब किससे बात करनी है? एक नंबर दिया जाता है और नंबर होता है एसडीएम का। एसडीएम को फोन करके वह बात करता है कि हेलो मैं लखनऊ से बात कर रहा हूं मुख्यमंत्री कार्यालय से क्या एसडीएम बात कर रहे हैं?
उधर से आवाज आती है जी मैं एसडीएम बात कर रहा हूं सर मेरे लिए आदेश। आदेश-आदेश कुछ नहीं है मैं पुलिस के गिरफ्त में हूं और पुलिस वालों ने मुझसे कहा है कि आपको एक फोन करना है किस तरह से अधिकारियों को तुम बात करते हो उन्हें हरकतें हो। बस यही जानना था।
एसडीएम जब बात सुनते हैं उन्हें गुस्सा आ जाता है और यहां सब पुलिस वाले ठाकर लगाकर हंसने लगते हैं हंस इसलिए रहे थे क्योंकि एक बहुत बड़ा खुलासा कर दिया था एक बहुत बड़ी मुसीबत से पुलिस बच गई थी एक बहुत बड़ी मुसीबत से ऑफिसर बच गए थे इसलिए कुछ पल के लिए इंजॉय कर रहे थे मगर इसके पीछे जो हुआ था वह वाकई चौंकाने वाला है आपको हंसी भी आएगी और आप सोचेंगे कि जमाने में इतने बड़े-बड़े नटवरलाल है कि बड़े-बड़े आईएएस ऑफिसर पीसीएस ऑफीसर यहां तक की मुख्यमंत्री तक को नहीं बख्शा|
आज की जो सच्ची घटना हम आपको सुनाने जा रहे हैं यह सच्ची घटना है उत्तर प्रदेश के एक जिला बुलंदशहर की। जून 2016 मैं मुख्यमंत्री कार्यालय से मुख्यमंत्री के जो ओएसजी है आशीष यादव उनका फोन पहुंचता है बुलंदशहर डीएम के आवास पर। पूछा जाता है कि क्या आईएएस ऑफिसर शुभ्रा सक्सेना बात कर रही हैं जी हां बात कर रही हूं उधर से आवाज आती है कि मैं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ओएसजी आशीष यादव बोल रहा हूं।… पूरी खबर जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें