चेन्नई, तमिल नाडु यह कहानी साल 1994 में शुरू होती है एक मैगजीन के संपादक ने एक सूचना प्रकाशित कराई और उस सूचना में लिखा था कि हम आने वाले वक्त में यानी कि 21 मई 1994 से एक डायरी प्रकाशित करेंगे डायरी के हर एक पन्ने को प्रकाशित कराएंगे
दर्शन डायरी जो थी वह एक जेल होती है जेल के अंदर कैदी का नाम गौरी शंकर उर्फ ऑटो शंकर जो कि जेल के अंदर बंद था वह जेल के अंदर बंद रहते हुए उसने डायरी के लगभग 300 पन्ने लिखे थे और 300 पन्ने में आईएएस ऑफिसर, आईपीएस ऑफिसर, पीसीएस अधिकारी, डीएसपी, सांसद, विधायक, नेता सभी लोगों से जो उसके संबंध थे उन संबंधों का हवाला उस डायरी के हर एक पन्ने में दिया गया था
डायरी के पन्नों में साफ लिखा था कि किस अधिकारी ने कितनी बार लड़कियां अपने घर पर बुलाई है रात बिताने के लिए, उनके साथ वक्त गुजारने के लिए जब यह बातें लोगों को पता चलती है अखबार के माध्यम से कि एक सूचना प्रकाशित होगी तो लोगों को बेसब्री से इंतजार था इससे पहले कि यह सूचना प्रकाशित होती डायरी के पन्ने जमाने के सामने आते पहले ही कोई व्यक्ति सीधा पहुंच जाता है कोर्ट में जाकर यह अर्जी देता है कि साहब यह डायरी के पन्ने आने नहीं चाहिए यदि आते हैं तो उन्माद फैल जाएगा समाज में एक तरह से अविश्वास फैल जाएगा… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें