मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश एक बार एक डाकू ने एक जमीदार को पत्र लिखा और उससे कहा कि मुझे ₹20000 चाहिए जब यह पत्र उसे जमीदार को मिलता है तो जमीदार इंतजार में था पता नहीं कब उसके यहां डकैत आ जाए और उससे पैसे लूट कर ले जाएं। ठीक वैसे ही होता है डकैतों ने जो कहा था ठीक वैसे ही पहुंच जाते हैं वहां जाने के बाद में उससे कहते हैं जो हमने तुमसे मांगा था वह लाकर दे दो जमीदार ने बड़ा विश्वास करते हुए अपने तिजोरी की चाबी उसके हाथ में दे दी कहा की तिजोरी में रखे पैसे निकालकर ले जाओ जैसे ही उसने तिजोरी खोला तो उसके अंदर लाखों रुपए थे लाखों रुपए देखने के बाद उस डाकू की नियत खराब नहीं हुई
बल्कि वह वापस जमीदार के पास आते हैं आकर कहता है कि मैंने सिर्फ 20000 मांगे थे तुमने पूरी तिजोरी देदी इसमें तो कई लाख रुपए रखे हुए हैं क्या बात है? उसने कहा कि जिसका पत्र लिखा हुआ था जिसके नाम से वह पत्र है उसका नाम ही अपने आप में काफी है क्योंकि मैं उस पर पूरा विश्वास कर सकता हूं वह जितना बोलेगा उतना ही काम करेगा
यानी कि जितने पैसे मांगे हैं उससे ज्यादा नहीं ले सकता जब यह बात सुल्ताना डाकू ने सुनी थी उसके बारे में लोगों की ऐसी थिंकिंग है सुल्ताना डाकू बहुत ज्यादा खुश होता है वह तिजोरी जैसी बंद थी वैसे ही बंद करता है चाबी उसके हाथ में देता है जमीदार से कहता है कि मैं तुम्हारे यहां से कोई भी पैसा नहीं चाहता मुझे तुमसे कुछ भी नहीं चाहिए जमीदार ने यह बात सुनी तो जमीदार खुश हो जाता है और ₹20000 निकालने के बाद उससे कुए बनवाता है उससे धर्मशालाएं बनवाता है और उसी पैसे से 1-2 स्कूल भी बनवाता है
बात अभी की नहीं है बात है बात 100 साल से ज्यादा पुरानी है जब 20000 की कीमत कई लाख के बराबर होती थी… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें