गिरिडीह, झारखंड नक्सलियों का जब मन करता था वह जंगल से गांव की तरफ रुख करते थे और किसी भी दरवाजे को खटखटाते थे जो उन्हें अच्छा लगता था वहां जाते थे वहां जाने के बाद लोगों से कहते थे खाना चाहिए वह अच्छा खाना बनाते थे खाने में जो डिमांड होती थी उस डिमांड को पूरी ही किया जाता था उनके हाथों में बंदूके होती थी बंदूकों से बचने के लिए ग्रामीणों की यह मजबूरी बन जाती है उसके बाद फिर घर की कोई महिला कोई लड़की अगर उन्हें पसंद आई थी तो उसके साथ वो गलत काम करते थे
इसी तरह से लगातार यह सिलसिला चल रहा है किसी भी घर का दरवाजा खटखटाया जाता है किसी भी घर में जाते हैं उस घर में या तो खाना मांगते हैं खाना मिलता है तो उसके बाद फिर महिला या लड़कियों से अभद्रता उनके साथ गंदा काम किया जाता था
गांव के लोगों की लगातार टेंशन बढ़ रही थी चिंता बढ़ रही थी कि इन सबसे बचा जाए तो कैसे बचा जाए बात सरकार तक पहुंचती है और सरकार ने एक प्लान बनाया क्यों ना अपनी रक्षा खुद की जाए इसके लिए हम तुम्हें कुछ सुविधाएं देंगे और उसके लिए तुम्हें गांव में एक साथ सामूहिक रूप से रहना है तुम एक साथ इकट्ठे होकर रहोगे मुट्ठी बंद रहेगी तो तुम उनका आसानी से मुकाबला कर सकते हो… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें