कानपुर, उत्तर प्रदेश एक लड़की की धूमधाम से शादी होती है उसकी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था और धीरे-धीरे करके ऐसे ही वक्त गुजर जाता है लगभग 2 साल के बाद वह अपनी सास के पास जाती है और जाकर कहती है कि अब बहुत हो चुका अब मैं इससे ज्यादा आपके घर पर नहीं रह सकती सास पूछती है कि आखिरकार क्या कारण है कि अचानक से तुम्हें सब कुछ भूलने की सब कुछ यहां से जाने की बात याद आ रही है क्या बात है क्या समस्या है उस समस्या का समाधान निकालेंगे तब वह कहती है कि मैंने बहुत इंतजार किया कि ताकि समस्या का समाधान हो सके लेकिन उस समस्या का समाधान नहीं हो सकता अपने बेटे से ही पूछो
जब सास ज़िद करती है तो बहु बताती है कि तुम्हारा बेटा नपुंसक है और मैं उसके साथ अब ज्यादा दिन तक रह नहीं सकती वो लड़की अपनी ससुराल से निकल कर मायके नहीं जाती बल्कि एक नई जगह पर जाकर किराए पर रहने लगती है अब उसका अकेलापन एकांकीपन अब करे तो क्या करे उसका सहारा बनता है मोबाइल, मोबाइल पर वह पन्ने दर पन्ने पलटती थी और नए-नए दोस्तों की तलाश करती थी आज कहानी उस दुल्हन की है जिसे 2 साल बाद याद आया था कि उसका पति नपुंसक है
आज की जो सच्ची घटना हम आपको सुनाने जा रहे हैं यह कहानी है उत्तर प्रदेश का एक कानपुर शहर है दरअसल कहानी भी यही की है बात है सीतापुर जेल में तैनात एक उत्तर प्रदेश पुलिस का कांस्टेबल जिसका नाम होता है शिवम पाल दरअसल शिवम पाल यूं तो कानपुर देहात के गांव पुखरायां का रहने वाला होता है लेकिन उसकी पोस्टिंग होती है सीतापुर की जेल में और जब उस जेल में ड्यूटी के अलावा उसके पास खूब सारा वक्त होता था तो उसका ज्यादातर वक्त मोबाइल पर ही कटता था… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें