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Crime

अतुल सुभाष की मौत का पूरा सच

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बेंगलुरु/जौनपुर
कहते हैं कि मरने से पहले कोई इंसान झूठ नहीं बोलता क्योंकि उसे ईश्वर के पास जाना होता है उसे पता होता है कि वह मरने वाला है इसलिए उसके मुंह से जो बोल निकल रहे होते हैं वह सच हैं दरअसल विधि या कानून की अगर बात माने तो मरने से पहले कोई व्यक्ति किसी जज या मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान दे जाए तो वाकई वह सच बोल रहा होता है ऐसा कानून भी मान लेता है

लेकिन उसका पुलिस उसका कानून से पूरी तरह से विश्वास उठ चुका था इसलिए उसने यह कदम उठाया वह कहता है कि मैं जो पैसे कमाता हूं उस पैसे से मेरे दुश्मन मजबूत हो रहे हैं मेरे पिता मेरी मां मेरे भाई यह रोज तिल तिल मरते हैं इसलिए अब मैं यहां जीना नहीं चाहता कुछ ऐसी बात वह कह देता है साथ वह कहता है की जो मेरी लाश हो उस लाश को मेरी पत्नी से बहुत दूर रखना उसे पास भी मत भटकने देना

साथ ही वो यह भी कहता है की मेरी अस्थियों को तब तक विसर्जित ना किया जाए जब तक इंसाफ ना मिल जाए यदि इंसाफ ना मिले तो फिर मेरी अस्थियों को जिस अदालत के सामने केस की सुनवाई हो उसके सामने जो गटर होगा उसी गटर में विसर्जित कर देना बहा देना लेकिन एक बात आखरी है वह है मेरे बच्चे को मेरे पिता और मेरी मां को सौंप देना क्योंकि पत्नी सक्षम नहीं है उसकी परवरिश करने के लिए

जब ये बात उसने कही तो भारत का ऐसा कौन सा हिस्सा होगा जहां पर यह सोशल मीडिया पर यह कहानी वायरल नहीं होती है ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा जिसने यह बात सुनी नहीं होगी और जिसने भी यह बातें सुनी थी उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं और सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिरकार अतुल ने ऐसा क्यों किया… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें