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हाथरस सत्संग की पूरी कहानी

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हाथरस, उत्तर प्रदेश
शाहजहांपुर जिले का एक थाना लगता है कांट और उसी का ही गांव लगता है भम्बोली दरअसल यहां की रहने वाली सावित्री देवी का जो बेटा होता है आनंद वो राजस्थान प्रदेश के जयपुर में रहता है अपने तीन बच्चों के साथ और पत्नी के साथ वह 1 जुलाई 2024 को अपने घर आया हुआ था घर आने के बाद अपनी बहन से बोलता है शोभा से की तैयार हो जाओ कहीं चलना है जैसे ही बच्चे तैयार होते हैं तो सावित्री देवी की नजर पड़ती है अपने बच्चे, बहू और बेटी पर साथ ही तीन पोती पोतों पर वह कहती हैं कि तुम तैयार कहां के लिए हो रहे हो क्या बात है तो आनंद कहता है की माँ सिर्फ एक दिन की बात है हम लोग बस जाकर आ जाते हैं यानी की कहीं जाना है

मां को जैसे ही पता चलता है कि वह किसी सत्संग में शामिल होने के लिए जा रहे हैं तो माँ ने रोकने की कोशिश की कि बेटा सत्संग में क्या करोगे तुम इतनी दूर से तो चल कर आए हो यही रुक जाओ लेकिन बेटा था कि वह जिद पर अड़ा हुआ था वह अपने तीनों बच्चों को लेकर पत्नी और बहन को लेकर पहुंच जाता है सत्संग में

लेकिन सत्संग से एक ऐसी खबर आती है की जो शोभा है वह एक गद्दे में फंस जाती है उसका जो भतीजा और भतीजी जिसमे भतीजा 9 साल का होता है और भतीजी 3 साल की होती है वह पानी के गड्ढे में पड़े हुए थे वहां से बड़ी संख्या में हजारों की संख्या में लोग आ रहे हैं जा रहे हैं और सब के सब अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे बुआ बार-बार लोगों के पैर पड़ती थी छूती थी कि भैया यहां बच्चे हैं यहां से मत निकलो लेकिन भीड़ को सिर्फ अपनी जान बचानी थी हर किसी को पड़ी थी कि बस किसी तरकीब से खुद की जान बच जाए कुछ भी हो जाए…पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें

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