छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश मेरा जो संकल्प होता है ना भगवान देर सवेर से उसको पूरा कर ही देता है मेरा संकल्प है कि मैं तिहाड़ जेल होकर आऊं जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए कुछ इसी तरह के सवाल थे जो बाबा सत्संग में हजारों लाखों लोगों की भीड़ में बोल रहे थे तो फिर भीड़ से आवाज आती है कि नहीं बाबा ऐसा मत करना आप को तिहाड़ जेल नहीं जाना आप तिहाड़ जेल मत जाना हमारे बीच में रहो। अभी बाबा कहते हैं कि भाई मैं तो 4 दिन के लिए जरूर जाऊंगा जेल में इतने सारे कैदी होते हैं उनको सुधारना जो है फिर उधर से आवाज आती है नहीं बाबा आपको नहीं जाना चाहिए।
यू कहते हैं कि एक बार में दिल्ली की तिहाड़ जेल के ऊपर से मेरा हेलीकॉप्टर गुजर रहा था तो मैंने पायलट से पूछा भाई कहां है तो उसने बताया कि हम तिहाड़ जेल के जस्ट ऊपर हैं वह कहते हैं कि ठीक है एक-दो राउंड इसके चारों तरफ घुमा दो। दो चार राउंड घुमाए जाते हैं उसके बाद फिर अच्छा लगता है फिर वही बाबा फिर वही बात कहते हैं कि जाना तो खैर चाहिए अब बस यह बता दो कि जोधपुर की जेल में जाना है, अहमदाबाद की जेल में जाना है, तिहाड़ के जेल में जाना है या अमेरिका के जेल में जाना है?
कुछ इस तरह की बातें कर रहे थे कहते हैं कि 24 घंटे में एक वक्त ऐसा जरूर आता है जब जुबान पर सरस्वती बैठी होती है ऐसा ही हुआ सरस्वती बैठी हुई थी जो बोल रहे थे वो सच हो गया जाना चाहते थे दो-चार दिन के लिए बिल्कुल भी नहीं पता था जेल जा रहे हैं और ऊपर वाला कुछ इतनी सुन लेगा कि जब तक जान है तब तक जेल में रहेंगे और प्राण खत्म जेल के बाद छुट्टी हो जाएगी… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें