अंधेरे और सन्नाटें में जाते ही कहीं ना कहीं व्यक्ति के जहन में भूत-प्रेत का डर आ ही जाता हैं…और ऐसे में क्या होगा….जब किसी के समक्ष साक्षात् भूत आ जाये..डर के मारे शायद आम इंसान की तो हालत ही खराब हो जाये…लेकिन आज हम आपको बतायेगें एक सिध्द संत के बारे में जिन्होंने भूतो को महसूस भी किया है और अपनी आंखो के समक्ष देखा भी हैं….दरअसल जब ये संन्यासी बाबा साधना में लीन थे तब इन्हें महसूस हुआ कि किसी अज्ञात अदृश्य चीज ने इनकी साधना को भंग करने की कोशिश की…लेकिन बाबा अपनी साधना करते रहें। बाबा ने बताया कि जब वह रात के अंधेरे में आगरे के यमुना के किनारे वाले शमशान घाट पर सिध्दि प्राप्ति के लिए गये थे… उस जगह योग साधना में कुछ महसूस हुआ…जिसकी आपने और हमने शायद कल्पना भी नहीं की होगी। बाबा ने बताया कि वैसे तो सिध्दि करने से पहले हम साधु एक किलित मंत्र के दृवारा अपने चारों तरफ एक लक्ष्मण रेखा बना लेते हैं ताकि कोई भी नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश ना कर पाये ..जैसै भूत-प्रेत और जिन्न साधना को योग साधना को खंण्डित ना कर सके..आगे महाराज बताते हैं कि रात के करीब 10 बजे उन्होंने अपनी साधना शुरु की। उसके कुछ समय के बाद बाबा ने देखा कि अचानक कम से कम 25 से 30 कुत्ते बड़े आक्रमक स्थिती में उनकी तरफ तेजी से आये और भौंकने लगे…लेकिन बाबा ने पहले से ही अपने चारों तरफ अभिमंत्रित लक्ष्मण रेखा बना रखी थी जिसके कारण वो उनका बाल भी बांका नहीं कर सके और उस रेखा को पार नहीं कर पाये…
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साधू बाबा ने बताया कि सारे कुत्ते उस घेरे के गोल-गोल घुम रहे थे ..लेकिन झुडं में एक कुत्ता था जिसका रंग काला था जो कि बाबा को अपनी चमकती आंखो से घुरने में लगा था..उसका कद सारे कुत्तों से ऊँचा और मुंह बहुत बड़ा जिसे देखकर शायद कोई आम इंसान भयभीत हो सकता था…कुत्ते लगातार साधना में विघ्न डाल रहे थे तब बाबा ने अपनी पूजा-साम्रगी में से कुछ खाने का सामान घेरे के बाहर की तरफ फेंका….जिसे किसी कुत्ते ने ना तो खाया और ना हीं उसे सूंघा बस उस काले कुत्ते ने सूंघा फिर वह काला कुत्ता उस चीज को सूंघकर वापिस चला गया….बाकी के कुत्ते भी उसके पीछे चले गये… बाबा का मानना था कि कहीं ना कहीं वो कुत्ते के भेष में भूत ही थे …क्योकिं अगर ये कोई साधारण कुत्ते होते तो वे लक्ष्मण रेखा में प्रवेश कर जाते काट लेते …लेकिन बाबा पर उन्होंने किसी तरह का कोई आक्रमण नहीं किया…अपने झुंड को लेकर चले गए…ये कोई एक वाक्या नहीं था…साधु बाबा ने हमें एक और दूसरा किस्सा सुनाया जिसे सुनने के बाद शायद ही कोई रात के अंधेरे में अकेले जंगल में निकल पाये…सर्दी के कोहरे वाली रात थी…शमशान घाट में बाबा अपनी साधना में लीन थे..अचानक से उन्हें किसी के होने की आहट हुई जैसे ही आंखे खुली तभी सामने उन्हेंने देखा कि जल रही चिताओ में से खौफनाक तूफान उठा…और बाबा की तरफ तेज गति से पँहुचा ..लेकिन बाबा ने साधना में बैठने से पहले अपने चारों ओर किलित मंत्र से लक्ष्मण रेखा बना रखी हुई थी..तूफान घेरे की रेखा के चारों तरफ घुमता रहा लेकिन बाबा को छु भी नहीं सका…बाबा के साथ वहां पर एक और व्यक्ति था जो इस मंजर को देखने के बाद बहुत भयभीत हुआ और तेजी कांपने लगा…तभी बाबा ने अपने मंत्रों के दृवारा उस वयक्ति को तुरंत किलित किया ..जिसके बाद अचानक आया वह अजीब सा खौफनाक तूफान युमना के किनारे जाकर गायब हो गया… बाबा का मनाना हैं कि आम तौर पर इस तरह के आंधी-तूफान गर्मियों में आते हैं ना कि सर्दी में…
इन्हीं बातो से अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि वह भी कहीं ना कहीं ये भूत-प्रेत ही हो सकते हैं.. अचानक से कुछ भी सामना आना और गायब हो जाना.. ये सब भूतो के होने का परिमाण हो सकते हैं… लेकिन आज भी यह एक रहस्य बना हुआ हैं कि क्या वाकई में भूत होते हैं।