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एक बूढ़ा पिता अपने बेटे की लाश को कंधे पर लेकर अंतिम संस्कार के लिए जाता है

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भागलपुर, बिहार
एक गांव में एक शिक्षक कई दिनों से बीमार चल रहा था बीमार चलते-चलते शिक्षक की मौत हो जाती है फिर उसका बूढ़ा पिता घर-घर जाकर लोगों से कहता है कि मेरे बेटे की मौत हो गई है वह मर गया है उसके अंतिम संस्कार में आओ और उसे हमेशा हमेशा के लिए दुनिया से विदा कर दो लेकिन गांव का कोई भी व्यक्ति नहीं आता उसके आसपास के लोग भी नहीं आते रिश्तेदारों को भी सूचना भेजता है लेकिन रिश्तेदार भी नहीं आते।

तब बूढ़ा पिता अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ियों का इंतजाम करता है ताकि चिता को जला सके उसके लिए सामग्री का इंतजाम करता है इंतजाम करता है और जो भी चिता जलाने के लिए औपचारिकताएं होती है वह सारी चीजों को इकट्ठा करके अब चिता में अपने बेटे को ले जाने के लिए उसकी लाश को जलाने के लिए कंधे पर उस लाश को रखता है और लगभग गांव से बहुत दूर गंगा के किनारे जाने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर देता है

अंतिम संस्कार करने के बाद सीधा पहुंचता है लगभग 2 किलोमीटर दूर कोर्ट में। कोर्ट में जज साहब के सामने जाकर खड़ा होता है कहता है कि साहब 4 साल पहले जब मेरे बेटे ने अपराध किया था एक अपनी छात्रा के साथ जो बलात्कार किया था उसको भगवान ने सजा दे दी है वह मर गया है सब बूढ़े पिता की तरफ देख रहे थे तो जज साहब को भी रोना आ जाता है और कहते हैं कि इस केस को हमेशा हमेशा के लिए अब रफा-दफा किया जाता है… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे क्लिक करें